Not known Details About Shodashi

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The Mahavidyas are a profound expression of your divine feminine, Every symbolizing a cosmic perform and also a path to spiritual enlightenment.

षट्कोणान्तःस्थितां वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥६॥

Matabari Temple is often a sacred location the place people from different religions and cultures Assemble and worship.

The underground cavern includes a dome large previously mentioned, and barely obvious. Voices echo wonderfully off The traditional stone in the partitions. Devi sits in a very pool of holy spring drinking water with a Cover excessive. A pujari guides devotees as a result of the entire process of having to pay homage and obtaining darshan at this most sacred of tantric peethams.

वर्गानुक्रमयोगेन यस्याख्योमाष्टकं स्थितम् ।

सा मे मोहान्धकारं बहुभवजनितं नाशयत्वादिमाता ॥९॥

The selection of mantra variety isn't just a subject of choice but reflects the devotee's spiritual targets and the character in their devotion. It is a nuanced aspect of worship that aligns the practitioner's intentions Together with the divine energies of Goddess Lalita.

Chanting the Mahavidya Shodashi Mantra makes a spiritual defend about devotees, defending them from negativity and damaging influences. This mantra functions being a source of security, encouraging individuals maintain a beneficial natural environment no cost from psychological and spiritual disturbances.

भगवान् शिव ने कहा — ‘कार्तिकेय। तुमने एक अत्यन्त रहस्य का प्रश्न पूछा है और मैं प्रेम वश तुम्हें यह अवश्य ही बताऊंगा। जो सत् रज एवं तम, भूत-प्रेत, मनुष्य, प्राणी हैं, वे सब इस प्रकृति से उत्पन्न हुए हैं। वही पराशक्ति Shodashi “महात्रिपुर सुन्दरी” है, वही सारे चराचर संसार को उत्पन्न करती है, पालती है और नाश करती है, वही शक्ति इच्छा ज्ञान, क्रिया शक्ति और ब्रह्मा, विष्णु, शिव रूप वाली है, वही त्रिशक्ति के रूप में सृष्टि, स्थिति और विनाशिनी है, ब्रह्मा रूप में वह इस चराचर जगत की सृष्टि करती है।

मुख्याभिश्चल-कुन्तलाभिरुषितं मन्वस्र-चक्रे शुभे ।

यह देवी अत्यंत सुन्दर रूप वाली सोलह वर्षीय युवती के रूप में विद्यमान हैं। जो तीनों लोकों (स्वर्ग, पाताल तथा पृथ्वी) में सर्वाधिक सुन्दर, मनोहर, चिर यौवन वाली हैं। जो आज भी यौवनावस्था धारण किये हुए है, तथा सोलह कला से पूर्ण सम्पन्न है। सोलह अंक जोकि पूर्णतः का प्रतीक है। सोलह की संख्या में प्रत्येक तत्व पूर्ण माना जाता हैं।

वाह्याद्याभिरुपाश्रितं च दशभिर्मुद्राभिरुद्भासितम् ।

ब्रह्माण्डादिकटाहान्तं तां वन्दे सिद्धमातृकाम् ॥५॥

श्रीमत्सिंहासनेशी प्रदिशतु विपुलां कीर्तिमानन्दरूपा ॥१६॥

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